India GDP Growth | America | Japan | Recession | Indian Economy के लिए आई सबसे बड़ी Good News?

[संगीत] नमस्कार आप देख रहे हैं मनी और मैं हूं आपके साथ विशाल शर्मा। देखिए भारतीय इकॉनमी को लेकर एक बड़ी खबर सामने आ रही है। असल में बात ये है कि भारत पाकिस्तान वॉर को लेकर हो चाहे ग्लोबल अनसर्टेनिटीज़ के लेकर हो या तमाम तरह की जो टेररिफ्स का मुद्दा जो चल रहा था उसको लेकर कहा जा रहा था कि इकॉनमी में थोड़ी सी हल्की गिरावट आ सकती है। इसके पीछे भी हम लोग कई बार जो है सर मनी सेंट्रल में भी हम लोग चर्चा करते आए हैं कि जो अमेरिका की इकॉनमी है उसमें 0.3% की गिरावट है। जापान की इकॉनमी पर जो टेरिफ की मार पड़ी सर उसके वजह से 0.7% का जो ग्रोथ है वो गिरता हुआ दिखा। लेकिन भारतीय मोर्चे पर एक सबसे बड़ी खुशखबरी आ रही है। इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट है। उसमें कहा जा रहा है कि चौथी तिमाही में जीडीपी ग्रोथ की जो दर है वो 6.8% के आसपास होने का अनुमान जताया जा रहा है। यानी 7स के आसपास का प्रोजेक्शन है सर। इसी को लेकर आज हम लोग चर्चा करेंगे और चर्चा में शामिल होने के लिए हमारे साथ मौजूद हैं हमारे सहयोगी और वरिष्ठ आर्थिक पत्रकार प्रवीण शर्मा सर। सर ओवर टू यू इट्स अ वेरी गुड न्यूज़ फॉर द इंडियन इकॉनमी। सिख मतलब देखिए अमेरिका में श्रिंक जापान में श्रिंक और यहां कहा जा रहा है कि भाई ग्रोथ तो लगातार वी आर द फास्टेस्ट ग्रोइंग इकॉनमी हम लोग बन सकते हैं सर। नहीं बिल्कुल देखिए इसमें एक सबसे बड़ा जो जो समझने वाली बात है वह यह है कि जो चिंता सरकार को असल में सता रही थी पिछले जो सितंबर तिमाही के जो नतीजे आए थे ग्रोथ के और वो जब 5.4% पे पहुंच गए थे तो सरकार के आरबीआई के और पूरे देश में जितने भी आर्थिक मामलों के जानकार हैं लोग हैं उन सबके कान खड़े हो गए थे। एक बेहद अह बड़ी फ़िक्र थी इकॉनमी को लेके। जी उसके पीछे मसला एक सबसे बड़ा जो नजर आ रहा था वो आ रहा था कंजमशन को लेके जो कि कंजमशन रूरल और शहरी दोनों इलाकों में गिरावट का शिकार हो रही थी। दोनों जगहों पे लोग रोजमर्रा की जरूरत की चीजों को भी खरीदने में अपने आप को असमर्थ पा रहे थे। इसकी वजह से ग्रोथ वहां पे गिरावट का शिकार हुई और साथ ही साथ जब सितंबर के ही जो उसके नंबर आए महंगाई के नंबर आए वो 6% से ऊपर का नंबर था जो अभी 3.16 के आसपास है। बिल्कुल तो वो दो चीजें ऐसी थी जिसकी वजह से सरकार बेहद परेशान थी और किसी भी तरह से कोशिश इस बात की की जा रही थी कि इकॉनमी का चक्का घुमाया जाए, पहिया घुमाया जाए। जी। अब जो ईटी का पोल एक बता रहा है कि जो चौथी तिमाही है उसमें 6.8% की ग्रोथ इकॉनमी की रह सकती है। तो जाहिर तौर पर भले 7% की ग्रोथ के आसपास नहीं पहुंचेंगे पूरे साल के लिए लेकिन कम से कम यह ग्रोथ को रिवाइवल को कंजमशन के रिवाइवल की तरफ एक इशारा बड़ा जरूर करती हुई दिखाई दे रही क्योंकि इससे पिछली तिमाही का जब आंकड़ा आया था तो वह 6.3% था। दिसंबर क्वार्टर के जब नतीजे आए थे 6.3% था। वहां से फिर एक जंप लेके 5% का जंप लेके 6.8% पर जब ग्रोथ पहुंच रही है तो जाहिर तौर पर पूरे देश के लिए और इकॉनमी के लिए एक बड़ा संकेत हो सकता है जब 30 तारीख को वास्तविक डाटा आएंगे तब अ इन असलियत आएगी लेकिन ज्यादातर जो बैंक हैं ज्यादातर जो जानकार हैं वो ये कह रहे हैं कि 7% तक की ग्रोथ इस बार चौथी तिमाही में दिखाई दे सकती है। लेकिन सर फाइनेंसियल ईयर 2025 के लिए कहा जा रहा है कि उसकी जो चौथे तिमाही में जो इंडियन इकॉनमी है उसमें भी तेजी आने की संभावना है। लेकिन कहा गया है कि फरवरी में जो सरकार का जो प्रोजेक्शंस था 6.5% का अनुमान और रिजर्व बैंक का 6.5 या 6.6% के आसपास उससे हालांकि कम रह सकता है सर फाइनेंसियल ईयर 25 के लिए। इस पर अगर आपका कुछ कमेंट हो नहीं बिल्कुल आरबीआई ने जब अभी अप्रैल में मॉनिटरी पॉलिसी का ऐलान किया था तब भी उन्होंने अपना जो पिछला प्रोजेक्शन था 6.7% का उसमें भी थोड़ी और कटौती की थी और पूरे साल के लिए 6.5% की ग्रोथ की बात कही है एफy 25 के लिए। जी। तो मोटे तौर पे अब जो लग रहा है जो तस्वीर निकल के आ रही है वो यही है कि इस साल इस साल माफ़ कीजिए जो गुजरात फिस्कल है व 25 वहां पे भारत की ग्रोथ 6.5% के आसपास रहेगी। हो सकता है 6.6% रहे हो सकता है 6.4% के आसपास रहे। लेकिन कम से कम इतना जरूर है कि एक तो 6% के नीचे नहीं जा रही ग्रोथ। जी ये एक बड़ी बात है और दूसरी बात यह है कि जिस वक्त पूरी दुनिया अनसर्टेनिटी के अनसर्टेनिटीज के दौर से गुजर रही है और इसकी शुरुआत पिछले साल से ही हो गई थी। नवंबर में जब राष्ट्रपति ट्रंप चुने गए थे तभी से इस बात का जो मागा करके है कि मेक अमेरिका ग्रेट अगेन और जो पूरी मुहिम थी कि हम ऊंचे टेरिफ लगाएं कि हम अमेरिका में प्रोडक्शन शुरू करेंगे। उसकी जो मार पड़ती हुई नजर आ रही थी पूरे सेंटीमेंट पे वहां पे इतने अनिश्चित माहौल में भी भारत की इकॉनमी ने अपना रेजिलियंस दिखाया है और 6.5% की ग्रोथ भी अगर मिलती है तो आप समझिए चाहे चीन हो चाहे अमेरिका हो चाहे दुनिया की कोई भी बड़ी इकॉनमी हो वहां भारत सबसे मजबूत प्रदर्शन करता हुआ दिखाई देगा अब घरेलू फ्रंट पर भी चर्चा कर लेना बहुत जरूरी है प्रवीण सर जिस तरह से थे ग्लोबल अनसर्टेनिटीज़ तो चल ही रही थी उसका मार पड़ ही रहा था। लेकिन उसी बीच जो बीच में हमारे और पाकिस्तान के बीच में जो रिफ्ट देखने को मिला सर। हालांकि अभी जो सीज़ फायर है उसका भी इंपैक्ट माना जा रहा था। तमाम इकोनॉमिस्ट कहिए, तमाम तरह की जो एडिटोरियल्स में आ रही थी बातें कि वो भी हैंपर हो सकती है। लेकिन वैसी बात अब दिखती हुई नहीं आ रही। उसप कुछ कमेंट करना चाहेंगे? जी बिलकुल देखिए अह जो दोनों देशों के बीच में सीज फायर हुआ उसका जाहिर तौर पर ट्रेड पूरा का पूरा बहाल हुआ है। कारोबार पूरा का पूरा बहाल है और उसमें कोई अंतर इतना बड़ा भारत की इकॉनमी पे क्योंकि एक बड़ी बात ये भी आ रही थी कि सरकार को जो कई उन्होंने भी बोला एजेंसियों ने भी बोला कि भारत सरकार को अब डिफेंस पर ज्यादा खर्च करना पड़ सकता है। एक बात भारत सरकार का जो फिस्कल कंसोलिडेशन का पाथ है जहां पे 4.5% की फिस्कल डेफिसिट को सरकार अचीव करना चाहती है इसी फिस्कल में मौजूदा फिस्कल में वहां पे चीजें डिरेल हो सकती हैं। तो ये दोनों मोर्चे ऐसे हैं जहां अभी तक अब ऐसा नहीं लग रहा है कि सरकार के लिए कोई बहुत बड़ी फिस्कल कंसोलिडेशन की जो पूरी प्रक्रिया है वहां कोई दिक्कत आएगी और इसके साथ दो-तीन दूसरे फैक्टर्स हैं जिनका फायदा देश को अब मिलने वाला है। एक और बात मैं बताऊं बांग्लादेश के साथ जिस तरह सरकार ने उनके जो उनका जो जो एक्सपोर्ट है उसको इंडिया के जरिए करने की जो पाबंदियां भारत ने लगा दी हैं उसका फायदा देश के टेक्सटाइल सेक्टर को मिलने वाला है। तो एक कुछ नए अपॉर्चुनिटीज भी खुल रही हैं। चाहे चीन के पे जो टेरिफ है उसकी वजह से अपॉर्चुनिटीज खुलने की बात हो या बांग्लादेश के चीजों को कर्व करने के जरिए अपॉर्चुनिटीज मिलने की बात हो। देश को कुछ फायदे भी होते हुए नजर आ रहे हैं। जी। अब प्रवीण सर जो ईटी की जो पोल है उस पर भी चर्चा कर लेते हैं। इसमें जो दिग्गज बैंक्स हैं उनका जो कोट है उन पर भी हम आपसे राय लेना चाहेंगे। जैसे डीवीएस बैंक हो गया सर केयर एज रेटिंग हो गया। इनके जो इकोनॉमिस्ट है उन्होंने कुछ फैक्टर्स बताए हैं सर। उनको भी हम आपसे आसान भाषा में डिकोड करने की कोशिश करेंगे। एक तो कहा जा रहा है कि कैच अप इन द गवर्नमेंट स्पेंडिंग। कहा गया कि महाकुंभ की वजह से सरकारी खर्च बढ़ा है तो वह भी इकॉनमी में अच्छा खासा योगदान करता हुआ दिख रहा है। फिर कहा जा रहा है कि कंसमशन पिक ऑन ईज़िंग इन्फ्लेशन। इनफ्लेशन की बात करी जा रही है। जैसा आपने कहा सर सितंबर में हम लोग 6% के ऊपर थे महंगाई इधर और लगातार अब इधर जो देखा जा रहा है लगातार तीन बार हम लोग देख रहे हैं कि 4% से नीचे है 3.6 हो सर उसके बाद 3.34 आना हो या उसके बाद अभी जो हाल फिलहाल के जो डाटा आए हैं वो 3.14स के आसपास आए हैं। फिर अगला फैक्टर कहा जा रहा है सर कि स्ट्रांग फार्म आउटपुट एंड पॉजिटिव लीड इंडिकेशंस ऑन द रूलर डिमांड। यानी जो कहा जा रहा है ग्रामीण क्षेत्र में जो डिमांड देखा जा रहा है सर उसमें बूस्टर देखा जा रहा है। इन तीन फैक्टर्स को हम आपसे समझना चाहेंगे। सर प्लस उसमें अगर आप मानसून वाला भी फैक्टर अगर ऐड कर दें बिल्कुल देखिए मानसून एक बड़ा फैक्टर है जाहिर तौर पर और जो रूरल जो आउटपुट है जो डिमांड है दोनों चीजों में पिकअप दिखाई दिया है उस वजह से स्पेंडिंग भी अब इस फिस्कल में नए फिस्सल में रूरल जो कंजमशन है वो भी पिकअप करता हुआ दिखाई दे रहा है। इसके साथ ही एक और जो सरकार की तरफ से बड़ा तोहफा जो कि 1 अप्रैल से लागू हो गया है। वह है आपका ₹12 लाख तक की टैक्स फ्री इनकम हो जाना। तो बहुत बड़ा तबका जो है वो सैलरीड क्लास और दूसरे लोगों का वो इसमें ₹1 लाख तक की कमाई वाले दायरे में आ जाएगा और इन सभी लोगों की जो इनकम टैक्स है वहां पर बचत होना शुरू हो चुकी है। तो यहां पर एक बहुत बड़ा फायदा इकॉनमी को मिलने वाला है क्योंकि जो बचा हुआ पैसा है जो आपकी जेब में बचेगा वो पैसा इकॉनमी में जाएगा या इन्वेस्टमेंट पे जाएगा। दो ही रास्ते हैं जहां पे कि लोग इस पैसे को का इस्तेमाल करेंगे। तो यह एक कंजमशन को बूस्ट देगा। तीसरी चीज जो बात है वह आरबीआई ने लगातार दो किस्तों में ब्याज दरों में बड़ी कटौती की है। 50 बीपीएस की को भी कहा अकोमोडेशन 50 बीपीएस की कटौती फरवरी और अप्रैल दो किस्तों में कर चुके हैं। और माना यह जा रहा है कि इस पूरे साल पूरे फिसल में कई और चरणों में आरबीआई रेट कट करने वाला है। यानी जो कर्ज लेने वाले लोग हैं उनको भी ब्याज दरों में कटौती का फायदा मिलने वाला है। तो कई फैक्टर्स अब एक साथ निकलते हुए भी नजर आ रहे हैं और इसका पॉजिटिव इंपैक्ट पड़ेगा। बिल्कुल और एक एक और बड़ी चीज है जो थर्ड चौथी तिमाही के जो कंपनियों के अर्निंग्स हैं वो भी जैसी पहले आशंका जताई जा रही थी कि ये अर्निंग्स जो हैं वो खराब आएंगी वैसी नहीं आई है अर्निंग्स अच्छे नतीजे भारतीय कंपनियों ने लिए हैं और यह बता रहा है कि इकॉनमी अब धीरे-धीरे फिर से पिक अप करती हुई नजर आ रही है। बहुत शुक्रिया प्रवीण सर आपने तमाम मुद्दों को जटिल मुद्दों को बहुत ही आसान भाषा में विस्तार से समझाने की कोशिश की। इसी तरह देश दुनिया और बिज़नेस जगत से जुड़ी तमाम ताजातन खबरों के लिए बने रहिए हमारे साथ और देखते रहिए मनी। [संगीत]

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FY25 की चौथी तिमाही में भारतीय अर्थव्यवस्था में तेजी आने की संभावना है
ET Survey में FY25 में 6.3% की Average growth का अनुमान
फरवरी में सरकार के 6.5% अनुमान से कम है
चौथी तिमाही में आर्थिक गतिविधि लचीली रहने की उम्मीद है-CareEdge Rating
NSO 30 मई को Q4 के लिए आधिकारिक GDP आंकड़े जारी करेगा
FY2024-2025 की अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में GDP ग्रोथ 6.2% रही
एक साल पहले की समान तिमाही (Q3 FY24) में ये 8.4% रही थी
FY2024-2025 में इकोनॉमी के 6.5% की दर से बढ़ने का अनुमान है
इकोनॉमी की हेल्थ को ट्रैक करने के लिए GDP का इस्तेमाल होता है
GDP दो तरह की होती है,रियल GDP और नॉमिनल GDP
फिलहाल GDP को कैलकुलेट करने के लिए बेस ईयर 2011-12 है

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