India vs US-Japan Deal: Geopolitics Shake-Up & China’s Rising Threat! | Ankit Awasthi Sir

नमस्कार दोस्तों, तो भारत और अमेरिका दो बड़े खिलाड़ी इस वक्त जिओपॉलिटिक्स की शतरंज में आमने-सामने आ गए हैं। यूएन के मंच पर टेंशन दिख रही है और मामला सिर्फ कूटनीति का नहीं है बल्कि एक बड़े झटके का संकेत है। अब जरा सोचिए अमेरिका जापान डील को हुए अभी सिर्फ 24 घंटे ही बीते थे और जापान की राजनीति में हलचल शुरू हो गई। प्रधानमंत्री शगेरू इशिबा के अगस्त में इस्तीफा देने की अटकलें जापान की मीडिया में छा गई। क्योंकि डील के बाद देश के अंदर से भी सवाल उठने लगे कि क्या इस डील में जापान ने ज्यादा झुकाव दिखाया लेकिन कहानी यहीं खत्म नहीं होती। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद यूएनएसएससी में अमेरिका की ओर से राजदूत डोरथिशिया ने एक बड़ा दावा कर दिया। उन्होंने कहा कि डोनाल्ड ट्रंप की अगुवाई में अमेरिका ने भारत-पाकिस्तान के बीच युद्ध टाल दिया। अब यहां भारत की प्रतिक्रिया भी तुरंत आई। भारत के स्थाई प्रतिनिधि पी हरीश ने यूएन के उसी मंच से इस दावे को साफ खारिज कर दिया। उन्होंने कहा ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान की तरफ से सीधे डीजीएमओ कॉल आई थी और उसी पर हमने अपनी सैन्य कार्यवाही रोकी। इसमें किसी तीसरे देश की कोई भूमिका नहीं थी। यानी भारत ने दो टूक कह दिया। हम अपने फैसले खुद लेते हैं और राष्ट्रीय सुरक्षा के मामले में किसी बाहरी दखल को बर्दाश्त नहीं करते। तो अब एक तरफ जापान की राजनीतिक उथल-पुथल, दूसरी तरफ अमेरिका का कूटनीतिक दावा और फिर भारत की सख्त प्रतिक्रिया। साफ है कि इस वक्त दुनिया के बड़े मंचों पर बहुत कुछ चल रहा है जो सीधे-सीधे भारत को भी प्रभावित कर रहा है। अब सवाल आपके लिए क्या अमेरिका इस वक्त सिर्फ डील्स नहीं दबाव की राजनीति भी खेल रहा है? क्या अमेरिका की डील्स के पीछे सिर्फ कूटनीति है या फिर भारत को झुकाने की एक बड़ी साजिश। दरअसल जीटीआरआई यानी ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव भारत को साफ-साफ कह रहा है कि इंडोनेशिया वाली गलती मत करना। मतलब बात सीधी है अमेरिका जो चाल चल रहा है उसमें अगर भारत फिसला तो नुकसान बड़ा होगा। और इसी बीच सामने आता है डोनाल्ड ट्रंप का एक ट्वीट। एक ट्वीट जो पूरी दुनिया की नजरें खींच लेता है। ट्रंप लिखते हैं वी जस्ट क्रैक अ मैसिव डील विद जापान। अब यह कोई मामूली डील नहीं है। जापान अब अमेरिका में सीधे 550 बिलियन डॉलर की इन्वेस्टमेंट करने जा रहा है और इसके बदले अमेरिका उठाएगा पूरा 90% प्रॉफिट और जापानी निर्यात पर 15% रेसिप्रोकल इंपोर्ट ड्यूटीज लगेगा। यानी पैसा भी, मुनाफा भी और साथ में एक नया रास्ता भी। क्योंकि इस डील के बाद जापान अपने देश की मार्केट अमेरिका के लिए खोल देगा। अब अमेरिका वहां कार भी बेचेगा, ट्रक भी बेचेगा, चावल, गेहूं, दाल सब कुछ यानी पूरा एग्रीकल्चर सेक्टर। मतलब अमेरिका को टैक्स में छूट और फायदा ही फायदा। डोनाल्ड ट्रंप कहते हैं जो पहले कभी नहीं हुआ था अब वह हो रहा है। हजारों नौकरियां तैयार होंगी। अमेरिकन मार्केट फिर से चमकेगा और सबसे बड़ी बात अमेरिका और जापान का रिश्ता अब और गहरा हो रहा है। अब सोचिए जब दो बड़े देश आपस में हाथ मिला रहे हैं तो भारत कहां खड़ा है? क्यों gtआरआई बार-बार भारत को चेतावनी दे रहा है? क्या भारत इस डील का हिस्सा बनेगा या फिर पिछड़ जाएगा? सवाल कई हैं। जवाब अब भी बाकी है। जापान के साथ इस डील की घोषणा हुई है और इस घोषणा के तुरंत बाद जापान की मीडिया में क्या चलना शुरू हुआ कि जापान के पीएम ईसीगा को इस्तीफा देना पड़ेगा। अब यह क्या हो गया? हालांकि जापान के पीएम ने कहा कि नहीं जी यह सारी बातें गलत बातें हैं। ऐसा कुछ नहीं है। ऐसा कुछ नहीं होने जा रहा है। मैं अपनी पद पर अभी बना रहूंगा जब तक कि यह आर्थिक समस्याएं खत्म नहीं हो जाती हैं और देश उथल-पुथल में है तो स्थिरता के लिए मैं बना रहूंगा। दरअसल हुआ यह है कि यहां के उच्च सदन में चुनाव हुआ है और चुनाव में काफी फेरबदल देखने को मिल रहा है। यह जो शख्स देख रहे हैं ना आप यह अब एक नए दावेदार की तरह उठकर निकल कर सामने आ रहे हैं। कौन है यह? तो यह जापान के फॉर राइट विंग के नेता हैं। इन्हें यहां तक कहा जाता है कि यह जापान के डोनाल्ड ट्रंप हैं। क्योंकि यह डोनाल्ड ट्रंप की ही तरह बातें करते हैं और डोनाल्ड ट्रंप की ही तरह बातें करते हैं और यह भी कहते हैं जिस तरीके से डोनाल्ड ट्रंप कहते हैं मैक अमेरिका ग्रेट अगेन मागा। उसी तरीके से यह कहते हैं मेक जापान ग्रेट अगेन। नाम है इनका सोहाई कैमिया। अब असली खेल समझो। जापान और अमेरिका ने मिलकर ऐसी डील कर ली है जिससे चीन की टेंशन डबल हो गई है। एक तरफ सप्लाई चेन में झटका दूसरी तरफ समुद्र में भी घेराबंदी यानी हर तरफ से दबाव ही दबाव। अब चीन बोलेगा भाई बहुत हो गया। तो वह 15% टेरिफ वाली इस डील को डब्ल्यूटीओ में घसीटने की तैयारी कर रहा है। लेकिन झटका सिर्फ चीन को नहीं लगा। इंडोनेशिया के साथ जो उल्टी सीधी डील हुई थी उससे बाकी असियन देश जैसे फिलीपींस और वियतनाम भी डर गए हैं। अब बात भारत की करें भारत के लिए बड़ा मौका है। जापान अमेरिका की यह डील कुछ फैक्ट्रियों को चीन से हटाकर भारत लाने का रास्ता खोल सकती है। लेकिन याद रखो जहां मौका है वहां चालबाजी भी होगी। अमेरिका जब निवेश करेगा तो अपनी शर्तें भी थोपेगा। मतलब फायदा भी और दबाव भी। अब चुनाव के बाद जो नतीजे आए हैं उसमें साफ देखने को मिल रहा है कि जापान के युवा वर्ग का झुकाव तेजी से सोहाई कैमिया की तरफ बढ़ रहा है। कई लोगों को अब ऐसा लगने लगा है कि सत्ता किसी ऐसे इंसान के पास होनी चाहिए जो पारंपरिक राजनीति से हटकर कुछ नया सोचता हो। लेकिन इस सब के बीच एक सवाल आपके दिमाग में जरूर आया होगा। जब जापान ने अमेरिका के साथ इतनी बड़ी डील साइन कर ली है तो यह तो बहुत अच्छी बात है ना। देखने में तो लगता है कि सब अच्छा हुआ है लेकिन जरा ठहरिए। मामला इतना सीधा नहीं है। असल में जापान और अमेरिका के रिश्ते खासकर व्यापार के मोर्चे पर हमेशा से थोड़े तनावपूर्ण रहे हैं। याद करिए जब जापान का इलेक्ट्रॉनिक्स सेक्टर तेजी से आगे बढ़ने लगा था तब अमेरिका ने उस पर भारी-भरकम टेरिफ लगा दिए थे। यानी अमेरिका की टेरिफ पॉलिसी कोई नई बात नहीं है। इससे पहले भी सिंजो आबे के कार्यकाल में एक बड़ी डील हुई थी। उस वक्त भी अमेरिका ने यही रुख अपनाया था। उस डील में क्या हुआ था? सिंजो आबे ने अमेरिकी बीफ और गेहूं जैसे कृषि उत्पादों पर टैक्स घटाया। मतलब अमेरिका को जापानी मार्केट में बड़ी एंट्री मिली। बदले में जापान को सिर्फ एक आश्वासन मिला कि अमेरिका उसकी ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री पर एक्स्ट्रा टैक्स नहीं लगाएगा। यानी हर बार अमेरिका ने अपनी बात मनवाई और जापान को अपने कुछ घरेलू फायदे कुर्बान करने पड़े। तो अब जो नई डील हुई है, वह बाहर से भले ही एक बड़ी जीत दिख रही हो, लेकिन अंदरूनी स्तर पर बहुत से सवाल उठ रहे हैं कि क्या जापान फिर वही गलती दोहरा रहा है? और अगर हां, तो इस बार राजनीति का असर और भी बड़ा हो सकता है। अब जरा ध्यान दीजिए। जो डील अमेरिका ने इंडोनेशिया के साथ की है उसमें भी वही पैटर्न दिख रहा है। एग्रीकल्चर सेक्टर में सीधा दखल और यहीं से कुछ बातें समझ में आने लगती हैं कि आखिर भारत और अमेरिका के बीच जो ट्रेड डील है वह अब तक फाइनल क्यों नहीं हो पाई। दरअसल डोनाल्ड ट्रंप जिस अंदाज में आक्रामक रुख अपनाते हैं, वही तरीका उन्होंने जापान पर भी अपनाया और वहां भी रणनीतिक दबाव बनाया गया। जापान ने एक वक्त अमेरिका से सीधा सवाल पूछ लिया था। अगर कल चीन कोई एक्शन लेता है तो क्या अमेरिका हमारे साथ खड़ा होगा? मतलब दबाव इतना था कि जापान को मजबूरी में कुछ फैसले लेने पड़े। अब सवाल यह है क्या भारत पर भी वैसा ही दबाव बनाया जा रहा है? तो फिलहाल जो हालात हैं वह एकदम साफ संकेत दे रहे हैं कि रिश्ते थोड़े डगमगाए हुए हैं। अब इसका ताजा उदाहरण आपको बताते हैं। यूएएसएसी यूनाइटेड नेशंस सिक्योरिटी काउंसिल की एक मीटिंग चल रही थी। इस मीटिंग में अमेरिका के प्रतिनिधि राजदूत डेरोतशी ने बयान दिया कि डोनाल्ड ट्रंप के नेतृत्व में अमेरिका ने इजराइल, ईरान, डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो, रवांडा और भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव कम किया है। लेकिन भारत ने इस दावे को वहीं यूएन में खारिज कर दिया। भारत के स्थाई प्रतिनिधि पार्वथा ने हरीश ने साफ कहा भारत और पाकिस्तान के बीच जो भी निर्णय लिए गए हैं वह पूरी तरह भारत ने स्वतंत्र रूप से लिए हैं। किसी तीसरे पक्ष की कोई भूमिका नहीं रही। खासकर पुलवामा हमले के बाद अब भारत की इस प्रतिक्रिया से दो बातें साफ हो गई। एक अमेरिका के दावे पर सीधी आपत्ति जताई गई और दो यह भी जताया गया कि भारत अपने राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मामलों में बाहरी दखल को स्वीकार नहीं करता। तो अब सवाल यह उठता है कि डोनाल्ड ट्रंप ऐसा कर क्यों रहे हैं? भारत के साथ रिश्ता क्यों बिगाड़ रहे हैं? असल बात यह है कि डोनाल्ड ट्रंप को भारत के मार्केट तक सीधी एंट्री चाहिए और इसके लिए वे हर तरह का दबाव इस्तेमाल कर रहे हैं। लेकिन इसका यह मतलब नहीं कि भारत झुकेगा ही। GTRI ने भी एक चेतावनी जारी की है कि अमेरिका ने जापान और इंडोनेशिया के साथ जो डील फाइनल की उसे देखकर भारत को सतर्क रहना चाहिए क्योंकि ऐसा ना हो कि बातचीत के नाम पर भारत के हितों को नुकसान पहुंचाया जाए। तो अब सवाल आपके लिए क्या आपको लगता है कि अमेरिका का यह सारा दबाव सिर्फ ट्रेड डील को लेकर है? जी हां दोस्तों जल्दी मिलते हैं अगले वीडियो में। जब तक के लिए जय हिंद जय

India vs US-Japan Deal: Geopolitics Shake-Up & China’s Rising Threat! | Ankit Awasthi Sir

US Japan trade agreement 2025 agriculture tariffs

Trump tweet Japan 550 billion investment

Japan agriculture tariff cuts US trade deal

Domestic backlash Japan US trade deal agriculture

Sohai Kamiya Make Japan Great Again

US Indonesia trade deal agriculture 99% access 2025

Trump Indonesia trade agreement 2025 15% reciprocal tariff

USA Indonesia agriculture agreement tariff cuts 2025

US trade deal Indonesia agriculture liberalization

UNSC meeting US claims reduced India-Pak tensions US envoy Dorothee 2025

Parvathaneni Harish statement UNSC 2025 India Pakistan tensions

US envoy Dorothee at UNSC claim tensions reduced

India rejects US claim at UNSC about mediating India-Pak tensions
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24 Comments

  1. दबाव डालकर अमेरिका अगर कुछ करता है और इसमें भारत का भी कुछ फायदा भी दिखाई दे रहा है। फिर भी डील नहीं करनी चाहिए। क्योंकि भारत एक लोकतांत्रिक देश है। डिल बराबरी की होनी चाहिए।अपना इमान अमेरिका के सामने नहीं बेचने चाहिए

  2. INDIA MUST not allow America to enter its Agriculture, Dairy, Pharma sectors at all . America's Dadagiri chalega NAHI in India. Our PPP GDP is more than 40 trillion dollar. We are self independent on many fronts. No entry of America in india.

  3. Jis din bharat America jo palat ke jawab dega aur america ka mann maani chalne nahi dega na america ke kisi dabao me nahi ayega os din bharat duniya me sab se zyada powerful country hoga.

  4. मुझे लगता हैं कि आप भी और की जो सुना वही ही बात सच्ची मानलि आप का दिमाग़ कहाँ गया? जापान का निवेदन पढ़ो और समझो और फिर टीपनी करो. बेल तरह बातें मत करो.

  5. Koi America Japan ki deal nahin hui hai. Aisi deal to Trump China aur Bharat ke saath bhi anounce kar chuke hain. Don't spread rumours 😂

  6. Stay away from American policy's otherwise 100% india will get loss not only this soon govt crisis will come soon pak again attack if india goes like US want

  7. अमेरिका साफ साफ कह चुका है कि हम भारत को बर्बाद कर देंगे। आप अब बताइए किस ट्रेड डील की बात कर रहे हैं।