India vs Japan Which Economy Will DOMINATE in 2025
एक तरफ है इंडिया, एक उभरता हुआ इकोनॉमिक जॉइंट जो दुनिया की फोर्थ सबसे बड़ी इकॉनमी बनने के बिल्कुल करीब है और दूसरी तरफ है जापान। एक देश जो आज भी रोबोटिक्स, इनोवेशन और क्वालिटी लाइफस्टाइल के मामले में दुनिया का ग्लोबल बेंचमार्क है। लेकिन कुछ महीनों से एक बड़ी डिबेट चल रही है। क्या इंडिया ने जापान को जीडीपी में पीछे छोड़ दिया है? फोर्थ लार्जेस्ट इकॉनमी। फोर्थ लार्जेस्ट इकॉनमी वर्ल्ड्स फोर्थ लार्जेस्ट इकॉनमी इन 2025 ओवरटेकिंग जापान। लेकिन आज की वीडियो का सवाल कुछ और है। क्या सिर्फ जीडीपी से किसी देश की असली ताकत को मेजर किया जा सकता है? आईएमएफ के लेटेस्ट डाटा के मुताबिक 2026 के शुरुआत तक इंडिया जापान को जीडीपी रैंकिंग में पीछे छोड़कर फोर्थ लार्जेस्ट इकॉनमी बन जाएगा। और अगर सब कुछ सही रहा तो ढाई से 3 साल बाद जर्मनी को भी पीछे छोड़कर इंडिया थर्ड लार्जेस्ट इकॉनमी बन जाएगा। लेकिन क्या यह नंबर्स ही सब कुछ हैं? 140 करोड़ की पॉपुलेशन के लिए क्या 4 ट्रिलियन डॉलर की जीडीपी काफी है? आज हम कुछ ऐसे टफ क्वेश्चंस उठाएंगे जो जीडीपी के शाइनी फिगर्स के पीछे छुपी असलियत को दिखाने का दम रखते हैं। क्या इंडिया ने जापान की पर कैपिटा इनकम, वहां की एजुकेशन क्वालिटी, हेल्थ केयर सिस्टम और इनोवेशन पावर को भी टक्कर दी है या हम अभी भी उन पैराटर्स में काफी पीछे हैं। तो इस वीडियो को एंड तक जरूर देखिएगा क्योंकि यह सिर्फ एक कंपैरिजन नहीं है। यह हम सभी की ग्रोथ स्टोरी है आपकी, मेरी और इस पूरे देश की। 4 ट्रिलियन डॉलर की यह इकोनॉमिक रेस शुरू होती है एक प्रेस कॉन्फ्रेंस से जहां बीवीआर सुब्रमण्यम जो कि इंडिया की लीडिंग थिंक टैंक नीति आयोग के चीफ हैं। यह बोल्ड क्लेम करते हैं कि इंडिया ने जापान को जीडीपी में पीछे छोड़ दिया है और अब हम एक 4 ट्रिलियन डॉलर की इकॉनमी बन चुके हैं। लेकिन बाद में यह क्लियर होता है कि उनका रेफरेंस आईएमएफ के प्रोजेक्शन डाटा पर था। जिसे कुछ मीडिया हाउसेस ने रियल टाइम डाटा समझ लिया। लेकिन असली सच क्या है? आईएमएफ के पास इस वक्त अपडेटेड करंट डाटा नहीं है। जिससे ऑफिशियली यह डिक्लेअ किया जा सके कि इंडिया ने जापान को ओवरटेक कर लिया है। लेकिन आईएमएफ का अनुमान यह कह रहा है कि अगर इंडिया इसी ग्रोथ रेट से आगे बढ़ता रहा तो 2025 के एंड तक इंडिया दुनिया की फोर्थ लार्जेस्ट इकॉनमी बन जाएगा। यहां तक कि आईएमएफ के वर्ल्ड इकोनॉमिक आउटलुक 2025 के हिसाब से इंडिया की जीडीपी है 3.9 ट्रिलियन। वहीं जापान की जीडीपी है 4.02 ट्रिलियन। लेकिन 2026 तक प्रोजेक्शन यह है कि इंडिया 4.187 ट्रिलियन पर स्टैंड करेगा। वहीं जापान रहेगा 4.186 ट्रिलियन पर। यानी सिर्फ 0.001 ट्रिलियन का मार्जिन। यह ऑफिशियली क्लियर होगा मई 2026 तक जब 2025-26 का फिस्कल डाटा पब्लिश होगा। लेकिन यहां एक इंपॉर्टेंट सवाल उठता है क्या सिर्फ जीडीपी का साइज ही डेवलपमेंट का रियल इंडिकेटर है? सोचिए जीडीपी एक बिल्डिंग की तरह है। बाहर से देखकर लग सकता है कि वो बिल्डिंग कितनी बड़ी और इंप्रेसिव है। लेकिन उस बिल्डिंग के अंदर रहने वाले लोगों का लाइफस्टाइल, हेल्थ और डेली रियलिटी कैसी है। यह सिर्फ जीडीपी से नहीं समझा जा सकता। इंडिया की जीडीपी बन रही है 140 करोड़ लोगों के कलेक्टिव एफर्ट्स से। जबकि जापान की ऑलमोस्ट सेम जीडीपी बन रही है वहां के सिर्फ 12 करोड़ लोगों से। यानी प्रोडक्टिविटी, पर कैपिटा इनकम और एफिशिएंसी के मामले में जापान अभी भी आगे है। आज हम सब यह चाहते हैं कि इंडिया दुनिया की फोर्थ या थर्ड लार्जेस्ट इकॉनमी बन जाए और जब ऐसा होगा तो एक बड़ा इकोनॉमिक शिफ्ट देखने को मिलेगा। इंडिया में तकरीबन 100 मिलियन लोग रिच कैटेगरी में आ जाएंगे। रिच यानी ऐसे लोग जो $10,000 पर ईयर यानी लगभग ₹8.5 लाख सालाना कमा रहे होंगे। यह सुनकर आपको अच्छा लगा होगा क्योंकि यह तो ग्रोथ का सिग्नल है। लेकिन जरा एक बार फिर से सोचिए 100 मिलियन यानी 10 करोड़ लोग जो कि पूरे देश की पॉपुलेशन का सिर्फ 14% होंगे। तो क्या इसका मतलब यह है कि 86% लोग इस इकॉनमिक ग्रोथ का हिस्सा नहीं बनेंगे। इसी रीजन की वजह से जीडीपी पर कैपिटा इनकम में इंडिया अभी भी काफी पीछे है। आज भी इंडिया की एवरेज पर कैपिटा इनकम $2900 है। जबकि जापान की पर कैपिटा इनकम है लगभग $33,690 यानी इंडिया से 10 गुना ज्यादा। और अगर हम 2022 का डाटा देखें तो सिर्फ 4.1% लोग ऐसे थे जो ₹8.5 लाख सालाना कमा रहे थे और लगभग 49.7% पॉपुलेशन ऐसी थी जो सिर्फ ₹1,20,000 सालाना या उससे भी कम कमा रहे थे। नाउ इंपॉर्टेंट यह है कि जीडीपी का बढ़ना ही सब कुछ नहीं है। हमें यह भी देखना होगा कि उस ग्रोथ का एक्चुअल बेनिफिट कितने लोगों तक पहुंच रहा है। जीडीपी की रेस में हम आगे बढ़ रहे हैं। लेकिन क्वालिटी ऑफ लाइफ के मामले में जापान और इंडिया के बीच में अभी भी एक बड़ा गैप है। क्वालिटी ऑफ लाइफ इंडेक्स में जापान का स्कोर है 188.8। जबकि इंडिया का स्कोर है सिर्फ 124.4। हेल्थ की बात करें तो इंडिया में हर 1000 बच्चों में 31 बच्चों की डेथ 5 साल के अंदर ही हो जाती है। जबकि जापान में यह नंबर सिर्फ 2.1 है। इंडिया में चाइल्ड वेस्टिंग है 6% यानी ऐसे बच्चे जो अपनी एज के अकॉर्डिंग कमजोर या कम वजन वाले हैं और चाइल्ड स्टंटिंग है 29.2% यानी ऐसे बच्चे जिनकी हाइट उनकी ऐज के हिसाब से काफी कम है। जबकि जापान में यही नंबर्स हैं 2.1 और 5.92%। सबसे ज्यादा शॉकिंग बात तो यह है कि आज दुनिया के 1/3 कुपोषित बच्चे सिर्फ इंडिया में हैं और देश की 13.7% पापुलेशन क्रॉनिक माल न्यूट्रिशन का शिकार है और इसलिए ग्लोबल हंगर इंडेक्स में इंडिया को सीरियस कैटेगरी में रखा गया है। यानी 127 देशों में हम 105वीं पोजीशन पर आते हैं। लेकिन जापान जापान को इस लिस्ट में शामिल ही नहीं किया गया क्योंकि हंगर की जापान में कोई प्रॉब्लम ही नहीं है। जब बात इंफ्रास्ट्रक्चर और कनेक्टिविटी की आती है तो यह एक ऐसा एरिया है जहां इंडिया ने जापान को काफी हद तक टक्कर देनी शुरू कर दी है। रोड नेटवर्क की बात करें तो आज इंडिया के पास है लगभग 66.17 लाख कि.मी. का रोड नेटवर्क यानी दुनिया के सबसे बड़े नेटवर्कक्स में से एक। जबकि जापान का रोड नेटवर्क है सिर्फ 1.23 लाख कि.मी. हालांकि जापान का एरिया भी काफी कम है। रेल नेटवर्क की बात करें तो इंडिया का रेल सिस्टम फैला हुआ है 1.2 लाख कि.मी. तक जबकि जापान का नेटवर्क है 27,700 कि.मी. का। लेकिन यहां एक डिफरेंस क्लियर देखने को मिलता है। जापान का रेलवे नेटवर्क चाहे छोटा हो लेकिन वह वर्ल्ड का फास्टेस्ट, मोस्ट पंचुअल और दुनिया के हाईटेक रेलवे नेटवर्क्स में आता है। बुलेट ट्रेंस, मैग्नेटिक लेविटेशन और अल्ट्रा मॉडर्न स्टेशंस जापान की रियल स्ट्रेंथ है। मेट्रो के मामले में भी इंडिया ने तेजी से प्रोग्रेस किया है। आज इंडिया में दुनिया का थर्ड लार्जेस्ट मेट्रो नेटवर्क बन चुका है। जिसमें 1000 कि.मी. से ज्यादा का मेट्रो रूट फंक्शनल है और इंडिया की बाकी सिटीज में भी मेट्रो लाइन डेवलप की जा रही है। एयर कनेक्टिविटी के लिए इंडिया ने उड़ान जैसी योजनाओं के थ्रू छोटी सिटीज को भी फ्लाइट नेटवर्क से जोड़ा है। आज देश में 120 से ज्यादा एयरपोर्ट्स एक्टिव हैं। जहां डोमेस्टिक और इंटरनेशनल कनेक्टिविटी दोनों को एक्सपेंड किया जा रहा है। तो यहां सवाल यह नहीं है कि जापान का इंफ्रास्ट्रक्चर बेटर है या इंडिया का? सवाल यह है कि इंडिया की ग्रोथ स्पीड अब जापान को चैलेंज कर रही है और जवाब है यस वी आर जस्ट गेटिंग स्टार्टेड। इंडिया की जीडीपी बढ़ी है लेकिन पर कैपिटा इनकम अभी भी जापान से काफी कम है। जापान का इंफ्रास्ट्रक्चर, पब्लिक सर्विज और स्किल्ड वर्कफोर्स अभी भी काफी एडवांस है। जहां इंडिया को अभी काफी दूरी तय करनी है। जापान अभी भी ग्लोबल इनोवेशन इंडेक्स में इंडिया से आगे है। रिसर्च एंड डेवलपमेंट, हाईटेक इंडस्ट्रीज और एजुकेशन में जापान काफी इन्वेस्ट करता है। वहीं इंडिया डिजिटल पेमेंट्स, आईटी सर्विज और स्पेस टेक में आगे बढ़ रहा है। लेकिन अभी जापान की स्टेबिलिटी और कंसिस्टेंसी को टक्कर देना बाकी है। वहीं दूसरी तरफ इंडिया हैज़ वन ऑफ़ द यंगेस्ट पॉपुलेशन इन द वर्ल्ड। यहां की 50% पापुलेशन की ऐज अंडर 25 है और लगभग 65% पॉपुलेशन की ऐज 35 या इससे ऊपर है और सिर्फ 7% लोग ऐसे हैं जिनकी एज 65 या इससे ऊपर है। वहीं जापान वर्ल्ड की ओल्डेस्ट और फास्टेस्ट एजिंग पापुलेशन वाला देश है। जहां की 30% पॉपुलेशन 65 एज के ऊपर है। यहां हर 10 में से एक की उम्र 80 साल से ज्यादा होती है। यहां तक कि जापान के ओकिनाका आइलैंड में करीब 1300 लोगों की एज 100 इयर्स से भी ज्यादा है। और हैरानी की बात यह है यहां 90 साल की ऐज के लोग भी एनर्जी के साथ काम करते हैं। इसलिए इसे ब्लू ज़ोन में रखा गया है जो दुनिया के पांच ब्लू ज़ों्स में आता है। जहां के लोग सबसे ज्यादा और हेल्दी लाइफ जीते हैं। लेकिन ट्विस्ट यह है कि इंडिया के पास यंग पॉपुलेशन, टैक अडॉप्शन और ग्लोबल पार्टनरशिप का स्ट्रांग एडवांटेज है। रिफॉर्म्स और रैपिड ग्रोथ के चलते इंडिया के पास अगले 10 सालों में गेम बदलने का पोटेंशियल है। तो दोस्तों, यह थी कहानी इंडिया और जापान की। एक इकॉनमी जो साइज में आगे बढ़ रही है और दूसरी जो क्वालिटी में डिकेड से टॉप पर है। लेकिन यह रेस सिर्फ जीडीपी तक सीमित नहीं है। यह रेस है क्वालिटी ऑफ लाइफ, इनोवेशन और सस्टेनेबल ग्रोथ की और इस रेस में इंडिया का फ्यूचर ब्राइट है। अगर हम सही डायरेक्शन में इन्वेस्टमेंट और रिफॉर्म्स जारी रखें। आपको क्या लगता है? अगले 10 सालों में सिर्फ जीडीपी में नहीं डेवलपमेंट में भी जापान को पीछे छोड़ सकता है। कमेंट में अपना ओपिनियन जरूर शेयर करना। और इस वीडियो को ज्यादा से ज्यादा लोगों तक शेयर जरूर करना। और अगर आपने चैनल को सब्सक्राइब नहीं किया है तो प्लीज सब्सक्राइब जरूर कर लेना। मिलते हैं अगले वीडियो में एक नए टॉपिक के साथ। तब तक के लिए जय हिंद।
Can India truly overtake Japan? Dive into a powerful economic comparison between two of Asia’s biggest forces — India and Japan. India is one of the world’s fastest-growing economies, while Japan stands as a highly developed but aging global power. We break down their economic models, challenges, and future prospects — using 2025 data and global insights.
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2 Comments
Very informative video h….and good editing… keep it up bro..👍
Developed india ke liye india ko per capita income badhani hogi ……