Japan Economy Explained in Simple Hindi | Weekly Bazaar Talks

हां जी। तो हम इस बार का वीकली बाजार टॉक स्टार्ट करते हैं। जापान अगर आप देखोगे तो एक अलग ही दुनिया है। मतलब देखना हो क्या रहा है। जापान में 1990 से ऑलमोस्ट 0% रेट ऑफ इंटरेस्ट। जब भी रेट ऑफ इंटरेस्ट 0% होता है तो लोग ज्यादा बोरोइंग करते हैं। ज्यादा खर्चा करते हैं। चीजों के रेट ज्यादा हो जाते हैं। इनफ्लेशन बढ़ जाता है सामान्य वे में। बट जापान में डिफ्लेशन से फाइट कर रहा है। मतलब चीजों के दाम कम हो रहे हैं। रेट ऑफ इंटरेस्ट कम है तो चीजों के दाम बढ़ने चाहिए। बल्कि जापान में सालों से उल्टा हो रहा है। पिछले 30-40 सालों से उल्टा हो रहा है। अगर आप देखोगे जापान खर्च कम कर रहा है और पैसा ज्यादा बचा रहा है। जापान एक ऐसी कंट्री है जो अपने जीडीपी के मुकाबले 2.6 टाइम्स ज्यादा डेप्ट लेके बैठी हुई है। बट इसका किसी को कोई वरी नहीं है। इनफैक्ट बहुत सारे देशों में जापान का जो करेंसी है ये वो रिजर्व करेंसी है। फॉरेक्स रिजर्व करेंसी। जापान में कंपनीज जो है वह लाइफ टाइम जॉब्स दे देती है लोगों को। वहां पर कोई रिटायरमेंट की एज नहीं है। कंपनी ने आपको एंप्लॉय करा। आप लाइफ टाइम जॉब पे चले गए। जापान में ऐसा क्या अलग है जो दूसरी जगहों पर नहीं हो रहा है। ठीक है? नंबर वन। नंबर टू जब आप इकोनमी का कोई डाटा एनालिसिस करते हो। जब हम इन्वेस्टमेंट बैंकिंग में थे और हमें कंपेरेटिव कंपनीज़ एनालाइज करने के लिए बोला जाता था तो एक्स जापान लिस्ट अलग से बनती थी। मतलब जब आप कोई इकोनमिक डाटा एनालिसिस करोगे, कोई सेक्टर का डाटा एनालिसिस करोगे एंड यू विल बी एनालाइजिंग द डेटा ऑफ नो डेटा अराउंड अ एनी पर्टिकुलर सेक्टर ऑफ एशिया तो यू विल लीव जापान। ये क्यों हो रहा है? ठीक है? वो हम समझेंगे आज के इस पर्टिकुलर सेशन में। आपने अगर अभी तक इस वीडियो को लाइक नहीं करा है तो प्लीज लाइक कर दीजिए। बिना किसी देरी के फटाफट शुरू करते हैं। इसको समझने के लिए अपने को थोड़ा सा हिस्ट्री में पीछे जाना पड़ेगा और पूरी जापान की ट्रेजरी समझनी पड़ेगी। वर्ल्ड वॉर टू जब हुआ तो उसमें पूरी दुनिया दो भागों में बंट गई। एक हुए अलाइड पावर्स जिसमें यूके, फ्रांस, सोवियत, यूएस, चाइना ये सब मिलके एक साथ लड़ रहे थे। ठीक है? मतलब ये एक ही टीम में थे। और इंडिया डेफिनेटली उस टाइम पर कॉलोनियल था। तो इंडिया भी यूके को सपोर्ट कर रहा था। अलाइड पावर्स में था। ब्रिटिश इंडियन आर्मी। एंड एक्सेस पावर्स में तीन देश थे। जर्मनी, इटली और जापान। हुआ क्या? एक्सेस पावर ऑफ कोर्स जो तीन देश थे जर्मनी, इटली, जापान ये जो समूह था यह पूरी तरीके से हार गया। एंड अलाइड पावर जीत गई। दो बम मारे जापान पे यूएस ने। अगस्त में आ रहा और सेप्टेंबर अगस्त सिक्स्थ ऑफ अगस्त एंड 9th ऑफ अगस्त 1945 इट इज द फर्स्ट टाइम द वर्ड हेल विटनेस्ड द डिस्ट्रक्शन ऑफ न्यूक्लियर पावर इनसेन सफरिंग था डेफिनेटली जब न्यूक्लियर का सफरिंग होता है तो इट इज़ नॉट ओनली रिलेटेड टू द डिस्ट्रक्शन ऑफ ह्यूमन है ना इकोनमी का भी डिस्ट्रक्शन आएगा फॉर श्योर जो जापान का वेल्थ था नेशनल वेल्थ वो 25% से रातोंरात खत्म हो गया सिर्फ दो देश दो शहरों में मारा आ रहा है और जो प्रोडक्शन था वो 43% से गिर गया अपने पीक से। एक हाइपर इनफ्लेशन का सिनेरियो बिल्ड हुआ ओवर अ पीरियड ऑफ़ टाइम अगले चारप सालों में। जब इनफ्लेशन जापान का ₹460% हो गया था। मतलब पिछले साल अगर किसी चीज का दाम ₹1 था। इस साल वो बढ़ के ₹560 हो गया। समझ रहे हो? ₹460% का ह इतना ज्यादा हक था। अच्छा यह वॉर के बाद भी अगर आप देखोगे तो जापान पर जब बम मारा तो बम मारने के बाद जापान को ऑक्यूुपाई कर लिया था यूएस ने। ये बहुत कम लोग जानते हैं। मतलब आपकी ऐज में जो बच्चे यंग स्टूडेंट्स हैं दे आर नॉट अवेयर अबाउट इट। ठीक है? और जापान में फिर से जापान को लाइन पे लाने के लिए एक जनरल डॉग डॉगस मैकार्थर थे। उन्हें भेजा सुप्रीम कमांडर बना के। अब यहां पर कुछ चीजें करने की कोशिश करेगी जापान में वो समझने की कोशिश करना। सबसे पहले करा जापान का डीमिलिटराइजेशन। मतलब जापान की अब कोई अपनी आर्मी नहीं होगी। यूएस आपको प्रोटेक्ट करेगी। आज भी जापान का अपना कोई आर्मी नहीं है। यूएस प्रोटेक्ट तो इससे क्या होगा? जापान फ्यूचर में कोई थ्रेट नहीं होगा। लाइट पावर। दूसरा पहले जापान में ज़ाइबत्सू करके एक सिस्टम चलता था। थाबात्सू मतलब कुछ हाउसेस कुछ बिजनेस हाउसेस बहुत मेजर प्रोडक्शन कंट्रोल करते हैं। जैसे साउथ कोरिया में भी ये चलता है। ठीक है? वहां पर क्या होता है? Samsung अगर आप देखोगे तो मेजॉरिटी चीजें Samsung कंट्रोल करता है। Samsung और एक दो और बड़े इंडस्ट्रियल हाउसेस। तो जापान में क्या करा? डेमोक्रेटाइजेशन लेके आ गए। उन्होंने ज़ाइबत्सू को डिॉल्व कर दिया। बड़े-बड़े जो इंडस्ट्रियल कॉग्लोमेरेंट थे उनको डिॉल्व कर दिया और इकोनमिक कंसंट्रेशन को कम कर दिया। उसके बाद अगर आप देखोगे तो टेनेंट फार्मिंग को कम करा। टेनेंट फार्मिंग मतलब यह यूएस ने करा आके कि आप किसी की जमीन ले रहे हो, उधार ले रहे हो, उस पर पूरा काम कर रहे हो एंड देन सामने वाला आपको वापस मतलब उसको आप ईयरली दे रहे हो। उन्होंने क्या करा? तेरे पास ज्यादा जमीन है ना तेरे से जमीन एक्वायर करी और उसके टुकड़े करके बांट दिए। तो इसी कारण से अगर आप देखो 1941 में 15 लाख लैंड ओनर्स थे जो मात्र 9 साल में बढ़ के डबल हो गए। 35 36 लाख लैंड ओनर्स हो गए जापान में। ठीक है? तो रिस्ट्रीब्यूशन ऑफ वेल्थ करा गया। अब इसके बाद क्या हुआ? जापान के पास खुद का कोई आर्मी तो था नहीं। जब खुद का कोई आर्मी नहीं होता है तो आपकी खुद की कोई पॉलिटिकल स्टैंडिंग भी नहीं होती। है ना? तो उस समय यूएस, सोवियत यूनियन जो आज का रशिया, यूएसएसआर है, रशिया, यूक्रेन और कजाकिस्तान और ये सब जो दूसरी कंट्रीज हैं इनके साथ कोल्ड वॉर में था। तो यूएस ने बाय डिफॉल्ट जापान को अपना अलय बना लिया। ठीक है? थिंग्स चीजें अभी तक जापान के पूरे कंट्रोल में नहीं थी और उसके बाद सडनली हो गया कोरियन वॉर। सुनना पूरा आपको कंप्लीट अंडरस्टैंडिंग मिलेगी। सेशन थोड़ा फिलहाल लंबा जरूर है बट इट विल हेल्प यू टू अंडरस्टैंड बेटर। ठीक है? कोरियन वॉर हुआ 1950 में। कोरियन वॉर हुआ तो कोरियन वॉर में क्या हुआ पता है? नॉर्थ कोरिया और साउथ कोरिया के बीच का वॉर है सर ये चीज। नॉर्थ कोरिया को यूएसएसआर सोवियत यूनियन सपोर्ट कर रहा था। कम्युनिस्ट कंट्री सपोर्ट कर रहा था और साउथ कोरियन को यूएस का इनफ्लुएंस था। ठीक है? नॉर्थ कोरिया ने इनवेड करने की कोशिश करी साउथ कोरिया को। साउथ कोरिया पे कब्जा करने की कोशिश करी। साउथ कोरिया की तरफ से जो डिफेंस करा वो यूएस आर्मी ने करा और यूनाइटेड नेशंस की पीस कीपिंग फोर्स। इन सब के दौरान जब यह कोरियन वॉर चल रहा था तब जापान को लॉजिस्टिक हब जैसा यूज करा यूएस ने। सारे व्हीकल, टेक्सटाइल, स्टील सब कुछ जापान से आ रहा था। इसके कारण जापान ने बहुत सालों के बाद पहली बार इकोनॉमिक ग्रोथ देखी और अगर आप देखोगे तो 1951 में 37.9% से उनकी जीडीपी ग्रो कर गई करंट प्राइस के हिसाब से। ठीक है? बट अभी तक भी जापान जो था वह ऑक्यूपाइड बाय यूएस ही था। वो यूएस का अलाइड ऑक्यूपाइड था। तो फिर 1951 में सैन फ्रांसिस्को में बैठ के एक ट्रीटी हुई और जापान को रिलीज कर दिया गया। जापान को उसकी सोवनिटी वापस मिली। जापान और इंडिया ऑलमोस्ट सेम टाइम पर सोवरन नेशन बने। 1951 में। सोवरन नेशन बनने का क्या मतलब था जापान के लिए? जापान ट्रेड एग्रीमेंट कर सकता है। जापान इंटरनेशनल ऑर्गेनाइजेशंस जैसे कैट और यूनाइटेड नेशंस का पार्ट बन सकता है। जापान डिप्लोमेटिक रिलेशंस मेंटेन कर सकता है। जापान अपनी खुद की करेंसी मैनेज कर सकता है और साथ ही साथ शिप बिल्डिंग और मैन्युफैक्चरिंग के अंदर जापान अपनी इंडस्ट्रीज को रिबिल्ड कर सकता है। तो अगर वॉर के पहले आप देखोगे जो दो वॉर हुए इसके पहले अगर आप देखोगे तो जापान वाज़ मेजरली एन एग्रेगेरियन इकॉनमी। एग्रेगेरियन मतलब एग्रेरियन मतलब एग्रीकल्चरल डिपेंडेंट इकॉनमी जहां पर लेबर कम है, टेक्निकल स्किल्स की कमी है। और वॉर के बाद जापान ने खुद को कैसे प्रोजेक्ट करा? 1951 के बाद स्पेशली एज एन अर्बन इकॉनमी। है ना? एज एन इंप्रूव्ड एजुकेशन स्ट्रेटेजिक गवर्नमेंट डिसीजन मेकिंग प्रायोरिटीज पॉलिसीज को प्रायोरिटाइज करा गया हाई वैल्यू इंडस्ट्रीज को बनाने में फोकस करने पे। जैसे कि टेक्सटाइल बनाते थे पहले जैपनीज़। वहां से शिफ्ट हो गए हैवी इंडस्ट्री पे। जब दुनिया में स्टील और केमिकल की डिमांड आई तो जापान से बना के दी। ठीक है? फिर उसके बाद शिफ्ट हो गए कंज्यूमर गुड्स इलेक्ट्रिक इलेक्ट्रॉनिक्स कार्स में। ठीक है? 1950 60 के अंदर अगर आप देखोगे तो गवर्नमेंट ने जापान की लोकल गवर्नमेंट ने टारगेटेड सब्सिडीज और लोंस दिए और एक्सपोर्ट प्रमोट करा। ठीक है? बहुत टारगेटेड करके कि आप शिप बिल्डिंग के अंदर एक्सपोर्ट प्रमोट करो, ये करो, वो करो। इस पूरे दौरान जापान का जो यन करेंसी था वो तो वीक था ही। वीक था। इसके कारण से क्या हो रहा था पता है? मतलब अगर अमेरिकी आदमी को चाइना से माल खरीदना है वर्सेस अमेरिकी आदमी को जापान से माल खरीदना है तो उसको जापान से माल खरीदना सस्ता पड़ रहा है क्योंकि जापान की करेंसी कमजोर है। तो करेंसी भी कमजोर तो एक्सपोर्टर्स की बल्लेबले वर्कर्स का वर्क एथिक बहुत स्ट्रांग। जापान का कल्चर। ठीक है? कल्चर वर्क एथिक्स कैसे कि दे स्टे इन वन ऑर्गेनाइजेशन फॉर अ वेरी लॉन्ग पीरियड ऑफ़ टाइम। बहुत लंबे समय तक टिके रहते हैं एक ऑर्गेनाइज़। ठीक है? ठीक है? दैट इज नंबर वन। नंबर टू दे वर्क फॉर फुल 9 आवर्स, 10 आवर्स। जितना उनका टाइम है उतना पूरा काम करेंगे। ठीक है? सेविंग रेट्स जो है वो बहुत बढ़ जाते हैं। बहुत हाई सेविंग रेट्स हो जाते हैं कैपिटल इन्वेस्टमेंट के मुकाबले। तो सेविंग्स बहुत ज्यादा करते हैं। तो ये सब करते हुए जापान ने पूरी दुनिया में अपने झंडे गाड़ दिए। मेड इन जापान प्रोडक्ट जो था उसका झंडा पूरी दुनिया में लहरा रहा था। ठीक है? जापान अगर आप देखोगे तो 15% ग्लोबल स्टील आउटपुट देने लग गया। 1960 तक दुनिया भर के इलेक्ट्रॉनिक्स में जापान का एक्सपोर्ट शेयर 16% था जो कि 5 साल पहले ही 5% था। ऑलमोस्ट जापान के ट्रांजिस्टर्स आते थे रेडियो ट्रांजिस्टर्स जापान के मेड इन जापान। ठीक है? वो इंडिया में स्मगल भी होते अगर आपने कभी सुल्तान मिर्जा और वंस अपॉन अ टाइम इन मुंबई वगैरह सुना हो तो सुल्तान मिर्जा वाज़ वेरी रनाउंड टू अ यू नो बहुत रनाउंड होते थे सुल्तान मिर्जा तो उनकी स्मगलिंग के लिए टू स्मगल द ट्रांजिस्टर्स और यूएस ने अकेले ही 10 मिलियन से ज्यादा ट्रांजिस्टर्स इंपोर्ट करे थे जापान से तो जापान का ऐसा डोमिनेंस बन गया था टीवी आई उसके बाद टेलीविज़ आया तो फिर जापान ने रूल करा बाय 1980 1980 तक आते-आते जापान दुनिया की सबसे सेकंड लार्जेस्ट इकॉनमी बन गया आफ्टर। ठीक है? इनफैक्ट ऑटोमोबाइल प्रोडक्शन में जापान ने टॉप कर दिया। 10 मिलियन 10 मिलियन मतलब 1 करोड़ व्हीकल प्रोड्यूस करे। उसने यूएस को पीछे छोड़ दिया। और उसमें से आधे से ज्यादा एक्सपोर्ट हो गए। पूरी दुनिया में जापानीज बाइक्स, टू व्हीलर में ऑटोमोबाइल में जापान का बहुत बड़ा कंट्रीब्यूशन। अब जरा समझना हुआ क्या? इस सब के दौरान यूएस जो था वो कंज्यूमर था। तो यूएस को हमेशा खर्चा करना पड़ता था। जैसा अभी भी हो रहा है। उस समय भी यूएस को यही लगा कि यार डेफिसिट में अपन ही अपना डेफिसिट सबसे ज्यादा है। सब मजे में अपन नुकसान में रहते हैं। मतलब अपन ज्यादा यूएस डॉलर पे करते हैं। अपन ज्यादा इंपोर्ट करते हैं और कम एक्सपोर्ट कर रहे हैं। तो जैसे अभी ट्रंप की टेरिफ वॉर चल रही है। उस समय गवर्नमेंट ने टेरिफ वॉर नहीं लेके आए। 1985 में यूएस गवर्नमेंट ले आया प्लाजा अकॉर्ड। प्लाज़ा अकॉर्ड में यूएस गवर्नमेंट ने क्या बोला? यूएस, जापान, जापान, वेस्ट जर्मनी, फ्रांस और यूके ये चार देश मिलके अपनी करेंसी की वैल्यू बढ़ा देंगे यूएस के अगेंस्ट में। समझना जैसे क्या होता है। जैसे एक सिंपल सी बात मानो इंडिया का एग्जांपल। इंडिया में आज डॉलर जो है वह आपको ₹90 पर डॉलर मिल रहा है। ठीक है? अगर मैं रुपए की वैल्यू बढ़ा देता हूं तो इसका मतलब यह है कि यह डॉलर आपको अब ₹70 पर डॉलर मिल है ना। तभी तो रुपए की वैल्यू बढ़ गई ना। पहले आप ₹1 पहले आप ₹90 से $1 खरीद पा रहे थे। अब आप ₹70 से $1 खरीद पा रहे हो। तो सर इससे होगा क्या? ऐसा क्यों करा? मतलब टेररिफ़ की जगह यह क्यों लगाया? कोई प्रॉब्लम नहीं है। एक नॉर्मल यूएस सिटीजन को समझो। के पास हाथ में $1 है। पहले अगर वह इंडिया से चावल मंगवाता था तो वह ₹90 के बराबर का चावल मंगवा पाता था। अब वो इंडिया से चावल मंगवाता है तो ₹70 का ही चावल आता है। तो यूएस के अगेंस्ट अगर आपने अपनी करेंसी एप्रिशिएट कर दी। मतलब इंडियन गवर्नमेंट ने ये मान लो डिसीजन ले लिया कि नहीं यार हम तो नहीं मान रहे इंटरनेशनल एक्सचेंज रेट। हम तो करेंसी को एप्रिशिएट करेंगे। समझना तो क्या तुरंत उसका इंपैक्ट पड़ेगा क्या इंपोर्ट पर तुरंत पड़ेगा यूएस इंपोर्ट करना कम कर देगा जैसे ही आपने अपनी इंडियन आईएआर करेंसी को मैंने एप्रिशिएट करा जापान ने यन को एप्रिशिएट करा जर्मनी ने यू नो यूरो को अप्रिशिएट करा फ्रांस यूके ने यूरो पाउंड को अप्रिशिएट करा वैसे यूएस वाले के लिए वहां से पैसे माल मंगवाना महंगा हो गया डिरेज तो अब जापान के साथ प्रॉब्लम क्या था पता है जापान का तो जापान तो एक्सपोर्ट ड्रिवन इकॉनमी है। है ना? एक्सपोर्ट इतना हैवी एक्सपोर्ट के ऊपर पूरी दुनिया में एक्सपोर्ट करती है। अगर मैं करेंसी अप्रिशिएट कर दूंगा तो मेरे एक्सपोर्टर्स को तो नुकसान हो जाएगा। सोचो ना अगर आप एक सॉफ्टवेयर कंपनी हो। आपने पहले $100 का बिल दिया। जब बिल दिया उस दिन ₹90 जब तक पैसा आया तब तक गवर्नमेंट ने बोला 70 ₹0 तो आपको तो चूना लग गया बैठे-बैठे ₹20 पर डॉलर का अगर आप एक्सपोर्टर हो तो तो जापान ने उसके बावजूद भी करेंसी को अप्रिशिएट करा जस्ट यूएस से अपने रिलेशंस मेंटेन क्योंकि जापान को और जापान भी डिपेंडेंट था काफी सारी चीजों को लेके बहुत क्रिटिकल रिसोर्सेज को लेके ठीक है अब क्या हुआ ब्रो जैसे ही मार्केट में एक्सपोर्टर्स र्स के लिए नेगेटिव न्यूज़ आई कि करेंसी अप्रिशिएट हो गई है। ये एप्रिशिएट कर दिया है गवर्नमेंट ने फोर्सफुली। तो एक रिस्क आ गई ना कि अब माल कौन खरीदे? तो जापान ने यहां मेरे हिसाब से ये सबसे बड़ी गलती हो गई जापान की। जापान ने क्या करा? जापान ने है ना रिस्क को स्लो डाउन करने के लिए रेट कट करना शुरू कर दिए। 1984 से 1992। ठीक है? और 87 में आके और दो चार पांच साल बाद आके जापान ने बोला कि मैं तो 6 ट्रिलियन यन मार्केट में डाल रहा हूं। क्या करेंगे इसका? गवर्नमेंट ने बोला इससे जो अर्बन डेवलपमेंट करेंगे लोग रोजगार बढ़ाएंगे मतलब बेसिक। ठीक है जी। अब क्या है पता है? हो ये रहा है कि करेंसी आपकी अप्रिशिएट हो गई है। इंटरेस्ट रेट लो है। स्टिमुलस पैकेज मतलब जो 6 ट्रिलियन डॉलर का पैकेज दे दिया है गवर्नमेंट ने दैट इज स्टिमुलस। वो स्टिमुलस है। ठीक है? ये स्टिमुलस का पैकेज आपको ऑलरेडी मिल गया है। अब इन तीनों के कारण मार्केट में लिक्विडिटी कितनी ज्यादा हो गई है? जब मार्केट में लिक्विडिटी बहुत ज्यादा होती है ना तब पैसा एक एसेट क्लास से दूसरे एसेट क्लास में बहुत तेजी से मूव करता है। मतलब अगर तूने कभी जीवन में क्रिप्टो में पैसा नहीं लगाया है। समझना और तेरे पास आज ₹100 करोड़ आ जाए तो तू सोचेगा कि कुछ नहीं यार चल कुछ नहीं तो ₹1 लाख का क्रिप्टो ले लेते। इट इज वेरी ईजी फॉर यू। इट हैपन इन 2020 आल्सो। राइट? तो सेम चीज जापान के साथ हुआ। करेंसी अप्रिशिएट हो गया। इंटरेस्ट रेट लो थे। स्टिमुलेस पैकेज हाई हो गया। तो पैसा है ना कॉर्पोरेट की जगह मतलब बिजनेस बढ़ाने की जगह रियलस्टेट और स्टॉक में मूव होने लग गया। ठीक है जी। आप सुन के आश्चर्यचकित हो जाओगे। जापान में एक पॉइंट ऑफ टाइम पर इंपीरियल पैलेस में जो लैंड का टुकड़ा था टोक्यो में उसकी वैल्यू पूरे कैलिफोर्निया स्टेट की वैल्यू से ज्यादा हो गई। जापान का जो प्रॉपर्टी मार्केट था वो चार गुना ज्यादा हो गया था पूरे यूएस के प्रॉपर्टी। व्हाट इज द रीज़न? ऐसा बोल के प्रोजेक्शन दिया गया है कि जापान में अगर किसी एक चीज की स्केयरसिटी है, दैट इज लैंड। लैंड इज वेरी वेरीरी स्केर। ठीक है? तो लैंड की कीमत तो कभी नीचे गिरने ही नहीं वाली है। तो बढ़ती जाएगी, बढ़ती जाएगी। एक पॉइंट ऑफ टाइम तक 1980 में जापान 15% ऑफ ग्लोबल मार्केट कैपिटलाइजेशन पूरी दुनिया में जितनी भी कंपनीज़ पेड होती है उसमें से 15% मार्केट कैप जापानीज कंपनीज़ का जो मात्र 8 9 साल में बढ़के 42% हो गया। मतलब दुनिया की 42% हम जो मार्केट कैप है टोटल वो जापनीज़ इक्विटी ओन करती है। पीई रेशियो 80 हो गया। डिविडेंड ईल्ड 0.38 हो गया। प्राइस टू बुक वैल्यू सिक्स टाइम्स हो गया। ठीक है? ये करने के दौरान जब यहां से बबल फटा 39,000 से 1989 तो जो निक्के था उसने क्लोज टू 80% का वैल्यू लूज़। यहां से लेकर के यहां तक 80% का फॉल था। सीधे सीधे 80% का। ठीक है? अब 1990 के अंदर बबल बस्ट हुआ। तब बबल बस्ट हुआ जब जापान ने रेट बढ़ाना शुरू किया। है ना? और रेट बढ़ाए। इकॉनमी स्टैगेंट हो गई। समझिए? जब बबल बस्ट हुआ तो जापान में रिसेशन आ गया। कंज्यूमर स्पेंडिंग पूरी तरीके से टूट गई। है ना? बबल कौन सा बस्ट हुआ? वो जो रियल स्टेट के प्राइसेस बढ़े हुए थे। ठीक है? जापान की जीडीपी 1% से ग्रो कर ली। और ये जो पूरे 10 साल थे 1990 ऑनवर्ड्स को लॉस्ट डिकेड बोला गया। ये पूरे 10 साल जापान डीप रिसेशन में। इनफैक्ट अगर आप मेरी नजर से देखोगे तो यह 10 साल नहीं है। यह 30 साल का टोटल लॉस ऑफ डिकेड है। अपन बात करते हैं। देखो कभी भी कोई इकॉनमी अगर बस्ट होती है ना तो उसका यूजुअल रोड मैप ऐसा होता है कि एक बबल बस्ट होगा तो एक शार्प फॉल आता है। फिर रिकॉग्निशन होता है। मतलब बॉटम आउट हो जाता है कि अब इससे नीचे तो देश कहीं जाएगा और धीरे-धीरे हील होना शुरू होता है और फिर ग्रोथ की तरफ आगे बढ़ता है। बट जापान के केस में रोड मैप बड़ा यूनिक था। जापान के केस में क्या हुआ पता है? एसेट के प्राइसेस तो टूटे ही टूटे। मतलब स्टॉक प्राइसेस और रियलस्टेट के प्राइसेस तो नीचे गिरे। इनफ्लेशन कम हो रहा था। अनइंप्लॉयमेंट तेजी से बढ़ रहा था। जीडीपी ग्रोथ डिक्लाइनिंग थी, लो थी। लेकिन उसके बावजूद भी बैंक्स की तरफ से कोई घोटाले नहीं हुए। समझना बहुत इंपॉर्टेंट है। ध्यान से समझना। है ना? यूजुअली क्या होता है? जैसे सिस्टम कोलैप्स करेगा तो बैंक्स भी कोलैप्स करेंगी ना। क्रेडिट ग्रोथ रेिलिएंट थी। बढ़ नहीं रही लेकिन वहीं टिकी हुई थी। नॉन परफॉर्मिंग लोंस बहुत कम थे जो कि बड़ा स्ट्रेंज था। एक ऐसी इकॉनमी के लिए अभी-अभी एक बबल का बस्ट देखा हो। अगर आप देखोगे तो इनफैक्ट जापान तो ग्रोइंग ग्रोथ के ऊपर आ गया अगले 3 साल में बुक्स जापान की। है ना? इसका मतलब 96, 97, 98, 99 में कोई भी मेजर डिफॉल्ट जापान में नहीं आए। और उसके बाद आया एशियन क्राइसिस। समझना जापान में बबल बस्ट हुआ 1990 में लेकिन बैंक्स के ऊपर कोई इंपैक्ट नहीं हुआ। इनफैक्ट 96 97 में ग्रो होना शुरू हुआ। ठीक है? और उसके बाद एशियन क्राइसिस आ गया। अगर आपको एशियन क्राइसिस पे अलग से सेशन चाहिए ना डब्ल्यूबीटी तो मेरे को बता देना। मैं बना दूं। बहुत ईजी है। ये शुरुआत में समझा देता हूं। स्टार्ट हुआ थाईलैंड से 97 में। भारत कोलैप्स कर गया। हाई भात था। ठीक है? गवर्नमेंट्स कोलैप्स कर गई। इंडोनेशिया, कोरिया, मलेशिया गवर्नमेंट। करेंसीज डीवैल्यू हो गई। रातोंरात देश खत्म हो गए। है ना? बहुत सारे साउथ ईशियन साउथ ईस्ट एशियन बैंक्स और कॉर्पोरेट्स भी खत्म हो गए। अब जापानीज बैंक्स ने क्या करा था? जापानीज बैंक्स ने बहुत हैवी लैंडिंग करके रखी थी साउथ ईस्ट एशिया के अंदर। इनफैक्ट जापानीज बैंक्स की तो ब्रांचेस थी थाईलैंड में, इंडोनेशिया में, कोरिया में। है ना? बहुत सारे रेगुलेटर्स हैं, रेटिंग एजेंसीज हैं, इन्वेस्टर्स हैं। इन्होंने क्या करा? जापानीज बैंक्स की बैलेंस शीट को स्क्रूटनाइज करना शुरू कर दिया ये कांड के कारण एशियन क्राइसिस के कारण। तब इनको पता चला कि 1990 में जो बबल बस्ट हुआ था उसका लॉस जापनीज बैंक्स ने बुक करा ही नहीं है। मतलब मतलब यह है कि अगर उस समय किसी ने आके जापनीज बैंक्स को यह बोला कि मालिक हम पैसा नहीं दे पाएंगे आपको। तो जापनीज़ बैंक ने क्या करा? पता है उसको और लोन दे दिया कि एक काम कर यह लोन ले और इससे पुराना वाला लोन। समझ में आ रहा है आपको? एवरग्रीनिंग बोलते हैं इसको। जॉमबी डेवलपर्स एंड कॉर्पोरेट मतलब ऐसे लोगों को लोन दे दिए जो थे ही नहीं जो एग्जिस्ट ही नहीं करते थे। अकाउंटिंग ट्रिक्स यूज करी गई बैलेंस शीट को स्टेबल बैंक को स्टेबल रखने की। और जब ये फटा ये अगर आप चार्ट देखते हो तो ये वो लॉसेस हैं जो बैंक्स ने जैपनीज बैंक्स ने बुक करें। आप अगर देखोगे तो 1994 से 2006 ये 8 साल ये ट्रेजरी कंटीन्यूअसली ऊपर बढ़ती गई बढ़ती गई बढ़ती इसके कारण क्या हुआ पता है? इसके कारण जापान का पूरा फाइनशियल इंस्टिट्यूशन और पूरा फाइनशियल सिस्टम कोलैप्स कर गया। जब कोलैप्स करा तो डर अब दोनों तरफ से आया। मतलब बैंक है ना डरने लग गए लेंड करने से और लोग भी डरने लग गए बोरो करने से। क्योंकि जिसने प्रॉपर्टी 100 में खरीदी थी वो प्रॉपर्टी की वैल्यू ही 60 रह गई। उसको पूरा पेमेंट 100 का करना। लोग डर गए। इनफैक्ट इतना डर गए कि लोगों ने बैंक का लोन लेने से ही डिरेज कर दिया। अगर यह चार्ट आप देखोगे तो ये जापान का बैंक लेंडिंग चार्ट है। लोग नेगेटिव में चले गए। मतलब पीपल आर पेइंग ऑफ लोन मोर देन द आर टेकिंग। है ना? मतलब पूरी इकॉनमी पे ऑफ मोड में चली गई। लोन रीप करने में चली गई। ये सब क्राइसिस के बावजूद भी जापान रिस्की नहीं लगता। है ना? नॉर्मली प्रॉब्लम्स रहती है। अर्थक्वेक्स वगैरह तो आते ही आते हैं। वो तो यही अलग ही बात है। इंपोर्ट ज्यादा एक्सपोर्ट से है। एक्सटर्नल बोरोइंग इज़ हैवी। ठीक है? कोई भी कंट्री अगर है और अगर वो अपना डेप्ट रीपे नहीं कर पा रही है तो क्या होता है पता है? जैसे मान लो इंडिया इंडिया डेप्ट रीपे नहीं करे। तो इन्वेस्टर्स होंगे ना वो अपना पैसा निकालना शुरू तो उनका आईएआर है। वो आईएआर वो बेच देंगे और उससे डॉलर खरीद के वापस ले जाएंगे। तो इंडिया की करेंसी क्रैश हो जाएगी। हमारा फॉरेक्स क्रैश हो जाएगा। हमें अब लोन लेने के लिए ज्यादा इंटरेस्ट देना पड़ेगा। मतलब ओवरऑल इकोनमिक ग्रोथ हैंपर होगी। इट्स अ चेन रिएक्शन ना। मतलब इंपोर्टेड गुड्स महंगे हो जाएंगे। फॉरेन डेप्ट जो है वो बढ़ जाएगा आपके लिए। बैंक फेल हो जाएगा। स्टॉक मार्केट क्रैश हो जाएगा। इनफ्लेशन बढ़ जाएगी। लोग नौकरी छोड़ने लोगों की नौकरियां छूट जाएंगी। बिनेसेस बंद हो जाएंगे। जापान को किसी भी चीज से वरी करने की। कारण क्या है? जापान का जो पूरा का पूरा डे है, मोस्टली वह डोमेस्टिक फंडेड है। मतलब यह है कि जापान अगर जापान अगर किसी भी तरीके से डिफॉल्ट मारता भी है, तो उसकी करेंसी के ऊपर कोई बड़ा इंपैक्ट आएगा। इन्वेस्टर्स हैं नहीं ज्यादा। ठीक है? दूसरा जापान ने ट्रेड सरप्लस मेंटेन करा हुआ है। मतलब जापान ज्यादा एक्सपोर्ट करता है, कम इंपोर्ट करता है। इसके कारण जापान का करेंसी बहुत स्टेबल है। लेकिन जापान के अंदर एक दूसरा चीज आया जिसको बोलते हैं बैलेंस शीट। समझना जापान ने लोग ज्यादा लोन लें इसके लिए रेट्स को जीरो कर दिया। एटलीस्ट इकॉनमी रिवाइव हो जाएगी। अब 0% होगा तो क्या होगा? लोग बोरो करेंगे, इन्वेस्ट करेंगे, इकोनमिक ग्रोथ होगी। बट इसमें से कुछ भी नहीं हुआ। उल्टे का क्या हुआ? जापान का बैलेंस शीट। जरा दो मिनट समझना। टिपिकल रिसेशन और बैलेंस शीट रिसेशन के बीच में फर्क क्या होगा? एक टिपिकल रिसेशन जो होगा वो हाई इंटरेस्ट रेट के कारण आता है। या तो इंटरेस्ट रेट हाई होगा या इनफ्लेशन होगा इसके कारण। बैलेंस शीट रिसेशन किसके कारण आता है पता है? एसेट प्राइसेस कोलैप्स कर गया। रियलस्टेट के प्राइस गिर गए। इक्विटीज के प्राइस गिर गए। टिपिकल रिसेशन में सेंट्रल बैंक आती है। इंटरेस्ट रेट को कट करती हैं। रिकवरी स्टार्ट हो जाती है। बैलेंस शीट रिसेशन के अंदर इंटरेस्ट रेट कट करने के बावजूद भी डिमांड नहीं आती क्योंकि लोग डरे हुए हैं। लोग कंजमशन नहीं करते। यहां पर क्या करते हैं? लोग फिर से बोरो करना शुरू कर देते हैं। जैसे इंटरेस्ट रेट कम हो जाता है। नॉर्मल रिसेशन। बैलेंस शीट रिसेशन में लोग तो उल्टे का डेप्ट पे ऑफ करते हैं। अपन ने देखा ना जापान का डेप्ट लेंडिंग वाज़ नेगेटिव। राइट? लोग ज्यादा रीप कर रहे थे नए लोन लेने के बाद। यहां पर स्पेंडिंग और इन्वेस्टमेंट स्टार्ट हो जाता है। वहां पर स्पेंडिंग इन्वेस्टमेंट सालों तक लोल रहता है। यहां पर रिकवरी बहुत तेज है और बैलेंस शीट रिसेशन के अंदर रिकवरी बहुत स्लो और वीक है। और अनफॉर्चूनेटली ऐसा पहली बार हुआ किसी भी देश के साथ कि मॉनिटरी पॉलिसी जो है वो कंप्लीटली इनफेक्टिव हो गई। जापान के बैलेंस शीट। मतलब 0% इंटरेस्ट रेट करने के बावजूद भी कोई इकोनमिक ग्रोथ नहीं। ठीक है? फिर गवर्नमेंट ने 2001 में क्वांटिटेटिव ईज़िंग लेके आया। क्वांटिटेटिव ईज़िंग क्या होती है? अगर आपको समझना है तो मोनेरी पॉलिसी का बहुत डिटेल्ड वीडियो मैं नीचे दे दूंगा। आप जरूर देखना। गवर्नमेंट ने बोला भाई तुम तो एक काम करो लाइन लगाओ। मैं तो तुमको जबरदस्ती यूज़ करती है गवर्नमेंट लिक्विडिटी। बैंक्स को जबरदस्ती पैसा देके जाती है। कब तक अपने पास रख? ठीक है? तो गवर्नमेंट ने क्या करा? यूएस गवर्नमेंट ने सॉरी जापान गवर्नमेंट ने zआईआरपी लगाया जीरो इंटरेस्ट रेट पॉलिसी लगा के दो-ती साल फिर क्वांटिटेटिव ईजिंग की पॉलिसी काफी साल तक चली तो फिर कॉम्प्रिहेंसिव मॉनिटरीज कि आसानी से पैसा मिला जापान वास कंटीन्यूअसली इन डिफ्लेशनरी स जापान में बैंक्स के जो रेट्स थे वो या तो नेगेटिव थे या लो इंटरेस्ट रेट थे तो लोगों ने कैश होल्ड करा कैश होल्ड करा तो इकॉनमी और नीचे जाने लग गई प्राइसेस गिर गिरने लग गए। तो लोग लोगों को लगा कि प्राइसेस गिर रहे हैं तो और गिरेंगे तो उन्होंने अपनी परचेजेस को और डिले करा तो और कैश होल्ड करा। कैश लोगों के पास पड़ा है। बैंक्स के पास जा ही नहीं रहा। बैंक ने बोला लाके दो लाके दो ला के दो। प्लीज अंडरस्टैंड। तो बैलेंस शीट रिसेशन कंटिन्यू चलता रहा। ठीक है? आपको फ्री में लोन मिल रहा है। इसके बाद भी लोग है ना लोन लेने के बजाय लोन उतार रहे हैं। बैंक्स को ये डर था सबसे। अच्छा इसका एक बहुत बड़ा रीजन डेमोग्राफिक डेप चेंज भी था क्योंकि जापान में अब वर्किंग पापुलेशन बहुत तेजी से कम हो रही तो ज्यादा लोग ऐसे बचे थे जापान में जिनकी कंजमशन टेंडेंसी कई लोग पुराने लोग ठीक है तो जापान का जो लॉस्ट डिकेड था ना 19 का ये एक्चुअल में एक्सटेंड होते 2010 तक गया इसी दौरान एशियन क्राइसिस भी आया डॉट बबल भी आया ग्लोबल फाइनेंसियल क्राइसिस भी आया सब कुछ आया ना और यही कारण है कि जापान इतना ज्यादा डेप्ट होने के बावजूद भी डोमेस्टिक डेप्ट इतना ज्यादा होने के बावजूद भी जापान बहुत सेफ है। सारी वनरेबिलिटी इट्स अ वेरी यूनिक इकोनमी इन इट्स ओन। ठीक है? अब अगर आप देखोगे तो अपन जापान को थोड़ा सा अ समझने की कोशिश करते हैं। पूरा इसको जो भी अपन ने पढ़ा है इसको एक बार अच्छे से समझने की कोशिश करते हैं। जब भी एक बबल बस्ट होता है तो टेक्स्ट बुक बोलती है कि इकॉनमी क्रैश कर जाएगी। बैंकरप्सी होगी और फिर रिबाउंड होगा। जापान ने क्या करा? बबल बस्ट हुआ ना तो कोई मास बैंकरप्स नहीं हुई। है ना? इकोनमी वो झूठ बोल दिया ना बैंक्स ने कि कोई कोई कुछ नहीं हुआ। जी। ठीक है? बैड लोंस जो होते हैं वो तेजी से रिटर्न ऑफ हो जाने चाहिए। है ना? तो बैलेंस शीट क्लीन हो जाएगी। बल्कि जापान ने तो सालों तक लोनस को छुपा के रखा। मॉनिटरी स्टिमुलस जब मिलता है आरबीआई की तरफ से, सेंट्रल बैंक की तरफ से तो वह ग्रोथ को बूस्ट करता है। मतलब कोई भी इंटरेस्ट रेट अगर लो होगा तो बोरोइंग लोग ज्यादा करेंगे। इन्वेस्टमेंट लोग ज्यादा करेंगे। जापान में क्या हो रहा है? इंटरेस्ट रेट इज़ नियर टू 0% फ्रॉम 99 बट बिनेसेस उल्टा रीप कर रहे हैं लोन। डिफ्लेशन बहुत रेयर होता है और बहुत शॉर्टलिव्ड होता है। डिफ्लेशन मतलब आज अगर इसकी कीमत ₹100 है तो अगले दिन 99 हो जाएगी। दैट इज डिफ्लेशन। बट जापान के केस के अंदर क्या हुआ? जापान पिछले 15 सालों 15 से ज्यादा सालों से डिफ्लेशन को बैटल किया। गवर्नमेंट जब स्पेंडिंग करती है तो इकॉनमी रिवाइव हो जाती है। फिसिकल स्टिमुलस बोलते हैं इसको। बट जापान के केस के अंदर क्या हुआ? गवर्नमेंट ने 10 से ज्यादा फिसिकल स्टिमुलस के पैकेजेस दिए। बट देयर वाज़ नो रिवाइवल इन इकॉनमी। ठीक है? रिसेशन के बाद रिकवरी आती है। सामान्यता। जापान ने 30 साल खराब हो गए जापान। लॉस्ट। ठीक है? सेंट्रल बैंक इंडिपेंडेंटली प्रोएक्टिवली डील करते हैं। एग्रेसिवली रेट कट करते हैं। बाय करते हैं एसेट। यहां पर क्या हुआ? बैंक ऑफ जापान हमेशा से लेट लतीफ ही करता रहा। और उसके बाद तो फिर वो लिक्विडिटी ट्रैप में भी फंस गया। लिक्विडिटी ट्रैप मतलब गवर्नमेंट कोशिश कर रही है कि मैं कुछ ऐसा कर दूं इंटरेस्ट रेट कम कर दूं तो इकोनमी की ग्रोथ हो जाए। बट इकॉनमी में ग्रोथ नहीं आ रही। दैट इज आल्सो कॉल्ड एज लिक डेमोग्राफिक सपोर्ट पूरी दुनिया में यंग पापुलेशन बढ़ रही थी। जापान में यंग पापुलेशन फॉल हो रही थी। ठीक है? तो जापान की जापान अपने आप में ही जापान की इकॉनमी एक केस स्टडी है यार। डेवलप्ड इकॉनमी है, डिक्लाइनिंग डेमोग्राफिक है, हायर डेप्ट है। ये आपको एक परफेक्ट केस स्टडी जैसा बताएगा कि जब इकॉनमीज़ बहुत ज्यादा बूढ़ी हो जाएंगी फ्यूचर में। छोटे-छोटे देश हैं जब ये और ज्यादा बूढ़े हो जाएंगे उस समय कैसे दिखेंगे? क्या हो सकता है उनके साथ? बट अभी जापान में क्या चल रहा है? देखो जापान में जो 30 ईयर का जापनीज बॉन्ड ईल्ड होता है वो 11 1.5% के आसपास चलता है। पिछले 10 सालों का यही एवर ब्रेक इस पॉइंट ऑफ टाइम पर वो यील्ड 3.5% के आसपास चल रहा है। 3.112% टू बी वेरी प्रेजेंट। मतलब ऑलमोस्ट डबल चल रहा है। ठीक है? पहले जापान में क्या होता था? पहले जापान क्या चाहता था कि हम बॉन्ड यील्ड को शुरुआत में लो रखते हैं जिससे अपन डिफ्लेशन से निकल जाए और धीरे-धीरे लोग खरीदना शुरू करें। इनफ्लेशन बढ़ जाए। इनफ्लेशन मॉडरेट होगी 2% के आसपास। है ना? फिर डिफ्लेशन से निकल जाएंगे। स्पेंडिंग बूस्ट होगी। ठीक है? डेट रिड्यूस होगा। जैसे ही ये होगा ना फिर अपन स्लाइटली अपने इंटरेस्ट रेट बढ़ा देंगे। मॉनिटरी पॉलिसी जैसे सारे देश बेचारे करते हैं। वही अपन भी करेंगे और अपन इन्वेस्टमेंट बाहर से अट्रैक्ट करेंगे। इकोनमिक ग्रोथ आएगी सबकी बल्लेबले। ये जापान चाहता था। हुआ क्या? बॉन्ड यील्ड तो बढ़ी। ठीक है? लेकिन ग्राउंड पे कोई इकोनॉमिक ग्रोथ नहीं है। इनफैक्ट पहली बार ऐसा हुआ कि जापान मतलब फॉर द फर्स्ट टाइम इन द ईयर कि जापान की इकॉनमी ट्रिंक कर गई। इकॉनमी वाज़ नॉट ग्रोइंग और इनफ्लेशन जो बढ़ रहा था वो फूड प्राइस इनफ्लेशन। जरा दो मिनट समझना। एक नॉर्मल इनफ्लेशन साइकिल जो होती है जब एक इनफ्लेशन मॉडरेट होता है तो पूरी इकॉनमी ग्रो करती है। मतलब रेवेन्यू भी बढ़ते हैं, वेजेस भी बढ़ते हैं, स्पेंडिंग भी बढ़ती है। लेकिन जो नॉन ग्रोथ इनफ्लेशन साइकिल होती है जिसमें जो इनफ्लेशन जो कीमतें बढ़ी है, वह ग्रोथ के कारण नहीं बनी है। वो प्राइसेस बढ़ने के कारण बढ़ी। दैट इज नॉन ग्रोथ इनफ्लेशन स। तो इकोनमी में कोई ग्रोथ नहीं होती है। हायर लिविंग कॉस्ट होता है। डिस्क्रीशनरी स्पेंडिंग लोग कम कर देते हैं। मतलब टीवी फ्रिज ट्रैवल ट्रवल कम कर देते हैं। तो पूरी इकॉनमी के लिए बहुत खराब है। इससे स्टफ्लेशन आ जाता है कि स्टैगेंसी आ जाती है। जापान अभी उसमें एंटर नहीं कर रहा है। बट इट इज़ वॉकिंग ऑन द रूफ। क्योंकि अब जापान है ना फिसिकल स्टिमुलस नहीं दे सकता। जापान का गवर्नमेंट आकर नहीं बोल सकता कि मैं और पैसे दे रहा हूं उस जनता को। कारण क्या है? इस टाइम पर इनफ्लेशन बहुत बड़ा प्रेशर है। डेप्ट का ऑलरेडी प्रेशर है। कोई ग्रोथ का बड़ा साइन नहीं है। मॉनिटरी ईजिंग कर नहीं सकते क्योंकि फाइनेंसियल प्रेशर है। इनफ्लेशनरी प्रेशर है। तो जापान का भी करंट सिनेरियो देखोगे तो इनफ्लेशन बहुत हाई है। 3.5% के आसपास है। ईल्ड्स जो है 10 साल वाली ईल्ड 1.5 ऑलरेडी पहुंच चुकी है। ग्रोथ बहुत कमजोर है। फिस्कल प्लेशर है। बॉन्ड मार्केट बहुत ज्यादा अनस्टेबल है। इतना अनस्टेबल है कि बॉन्ड बैंक ऑफ जापान है ना ऑक्शन में पार्टिसिपेट ही नहीं करता है। बैक ऑफ कर रहा है। मतलब मैं खरीदूंगा ही नहीं, बेचूंगा ही नहीं कुछ अपनी करेंसी को कंट्रोल रखने के लिए इंटरेस्ट रेट को कंट्रोल रखने के लिए। अगर जापान में यील्ड फिर से बढ़ती जाती है। जापान की जो यील्ड है लोन का जो रेट है जापान में वो बढ़ता जाता है तो कैश कैरी ट्रेड अनवाइंडिंग होना शुरू हो जाएंगे। कैरी ट्रेड्स मतलब क्या होते हैं पता है? जापान से लोन उठाया क्योंकि जापान में सस्ता मिलता है और उसको यूएस में लगा दिया और प्रॉफिट कमा लिया है ना। लेकिन जैसे अगर जापान में भी लोन के रेट महंगे हो गए तो फिर तो ये इतना माथा करके कोई लॉजिक ही नहीं नुकसान हो जाएगा बेटा। तो ये अगस्त 24 में भी हुआ था। अगर आपको इसके बारे में ज्यादा पता हो तो आप मुझे कमेंट में लिख के बताना। मैं जरूर पढूंगा। ठीक है? जापान अगर आप देखोगे तो वन ऑफ द लार्जेस्ट होल्डर्स हैं अ चीज का यूएस क्योंकि क्या होता है जापान में लोग पैसा कमाते हैं बचाते भी हैं और वो जापान में नहीं बचा रहे हैं वो यूएस में पैसा इन्वेस्ट करते हैं। अब जब जापान में अगर मान लीजिए ईल्ड इतने ज्यादा हो जाएंगे तो कोई आदमी अगर घर में ही चावल मिल रहा है तो बाहर क्यों जाएगा? बात है। तो इसके कारण क्या हो सकता है? सेल ऑफ ट्रिगर हो सकता है यूएस ट्रेजरी का। अगर आप यह देखोगे तो यह चार्ट है। यह चार्ट है कि यूएस ने किस कंट्री से कितना डेप्ट ले रखा है। इसमें अगर आप देखोगे तो जापान से यूएस ने $1 ट्रिलियन के आसपास का डेप्ट लिया तो खैर बहुत नीचे आता है इसमें पर जापान से $1 ट्रिलियन का अभी भी मतलब ना थिंग्स आर स्टिल अनफोल्डिंग। जापान का बॉन्ड मार्केट इज़ थर्ड लार्जेस्ट। ठीक है? एक चीज़ है नो वन वांट्स कि जापान डिफ़ॉल्ट कर दे। अगर जापान ने डिफॉल्ट कर दिया तो इन्वेस्टर कॉन्फिडेंस लूज हो जाएगा। मतलब यार इट इज वेरी थिन लाइन। अब देखो ना इतनी सब चीजें होने के बावजूद भी पीपल आर प्लेसिंग देयर ट्रस्ट ऑन जापान जस्ट बिकॉज़ आपका डेप्ट डोमेस्टिक। सिर्फ इतनी सी चीज है। आप बाहर से आप यू आर अ एक्सपोर्ट ड्रिवन कंट्री। राइट? तो आज का इतना ही वीकली बाजार टॉक था। आई हैड अ टू बॉट दिस इज़ फर्स्ट ऑफ हियरिंग। तो बोलने में भी आपको थोड़ा सा अजीब लग रहा होगा। बस या इतना ही बोलना था आपको। आई होप आपको समझ में आए बेसिक अंडरस्टैंडिंग। दैट्स इट। थैंक यू सो मच फॉर जॉइनिंग इन। दिस इज पार्थ वर्मा ऑफ।

In this edition of Weekly Baazaar Talks, we understand Japan’s economy so unique in itself and what is currently happening in Japan

Session Slides – https://drive.google.com/file/d/127UX8vuZm1LASctgeyar9QYnclLNLIc6/view?usp=sharing

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42 Comments

  1. Sir you're health is not looking good tbrh, kindly have some rest..don't strain your body too much. its hard to watch the video, when you are unwell…get well sir <3

  2. Sir I like your content but by most vedio I comment plz made an vedio on full stock analysis . Means full equity analysis plz sir .❤

  3. Sir, please bring paid CFA level 1 programme. Even recorded lectures will be fine because there’s not a single person in India who can teach CFA better than you. It’s a humble request Sir.

  4. Yes sir plese bring CFA Lecel 1 Programme I am ready to paid

    Because I know that only parth sir is here who can decode the CFA in simpleast terms…

  5. Hello, Parth
    I think there is some issue with your mic, last word of your sentense is not audible many times. Please do check once. Otherwise overall video was very informative.

  6. 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏Hello can someone help me with this,
    So I have completed my 12 th in feb this year and i want to be in finance domain and am planning to pursue cfa 1 in 2026
    So is parth verma sir afmvc worth it for someone who don't have basic finance and excel knowledge

    Does it cover from basic hows your reviews on it please tell
    🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏

  7. Sir we want a business valuation series please, The Ashwath Damodaran class is so standard,We couldn’t understand all his concepts,We are kind of adjusted your methodology of teaching, So please conduct a valuation, I bet it is what most of finance students want you to do, and I am 100% sure that, It will become your most popular series than financial modelliing.

  8. Please set your mike properly, you move your head much in the process of looking at the right in the screen and words are lost as mike is not capturing what you said the right mike needs to be straight rather than inward, the left will anyways pick up what you say when your head is straight

  9. I have started watching your videos before a couple of days

    And beleive me sir

    You are delivering the best content that one can't deliver charging us

    Learned a lot from you
    May you be blesses
    Thankyou😊

  10. Thanks Parth! This was the rare 30min+ video that kept me attentive till the end. It puts so many things in perspective…we are constantly told that 'history is not the predictor of future' …. sure! But that's because we haven't seen it all…and probably never will…but it is helpful to regress next few points on its possible trajectory. Would it be greedy to say 'hope more such finance history studies from you'?